मुक़द्दर__

वहतें कुछ इस क़दर मेरा मुक़द्दर बन गयी__
हम जहां पहुंचे, हमारे साथ वीराने गए__
यूँ तो वो मेरी राग-ए-जान से भी थे नज़दीक-तर__
आंसुओं की धुंध में, लेकिन न पहचाने गए__ 
©#Lines_By_Kw

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