क़लम-कोहराम__


सुन्न पड़ रही है क़लम-ए-चाँद रफ़्ता-रफ़्ता__
शब्दों की तल्ख़ी में अब वो कोहराम नहीं__
©Lines_By_Kw

शख्सियत__

शख्सियत अपनी को,कमज़ोर न पड़ने दे__
यहां हर कोई घबराया है__
दर्द क्या चीज़ है तेरे लिए! तेरे ताल्लुक़ात के
समंदर ने सिकन्दर तक को डुबाया है__
Untold Feelings
©#Lines_By_Kw