हसरतें___

बहुत अंदर तक हलचल मचाती है,
सरतें; जो पूरी नही होती__
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©#Lines_By_Kw

8 comments:

  1. रस्ता नहीं है घर पर , लेकिन बेघर नहीं हूँ में ,
    हूँ रास्ते का पत्थर , लेकिन ठोकर नहीं हूँ में ।
    @सैम

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  2. तू जहाँ भी है तुझे देख रही है आँखे ,
    ये अलग बात है अश्को से भरी है आँखे ।
    कोई जाओ की नजरों को समझा दो ,
    रस्ता तुम्हारा रोक रही है आँखे ।।

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  3. वक्त, हालात , सब फरेब था ,
    हर जर्रे जर्रे में तुम बसर करती हो ।।
    @सैम

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