हयात__

घिर गई है दो ज़मानों की कशाकश में हयात__
इक तरफ ज़ंजीर-ए-माज़ी एक जानिब हाल है__
हिज्र की राहों से चाँद; दीदार-ए-मंज़िल तक__
यूं है जैसे दरमियां इक रौशनी का साल है__
©Lines_by_Kw
Untold Feelings

No comments:

Post a Comment