लिख तो दूँ कुछ_फलसफे तेरे इन खाली से पन्नों पर__
फिर सोचता हूँ कि ये रिश्ता_कहीं सारेआम ना हो जाये__
दूरियों में ही महफूज़ है_ये कुछ रिश्ते अनजाने से__
डरता हूँ फिर किसी महफ़िल में_तू बदनाम ना हो जाये__
©#Lines_by_Kw
फिर सोचता हूँ कि ये रिश्ता_कहीं सारेआम ना हो जाये__
दूरियों में ही महफूज़ है_ये कुछ रिश्ते अनजाने से__
डरता हूँ फिर किसी महफ़िल में_तू बदनाम ना हो जाये__
©#Lines_by_Kw
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