वो सुखी बेल थी,बची रही; लिपटी थी अपने ही तनों से।
मैंनें झड़ते देखें हैं फड़फड़ाते हरे पत्ते, तेज़ तूफानों में।।
Untold Feelings
©Lines_By_Jiva
मैंनें झड़ते देखें हैं फड़फड़ाते हरे पत्ते, तेज़ तूफानों में।।
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